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कहानीःरात होने से पहले

धारावाहिक कहानी-रात होने से पहले

भाग ४-

जब से शुभिता वापस घूम फिर कर आई है उसकी तबियत ठीक नहीं रहती।वह अक्सर चिड़चिड़ाने लगी थी।कभी मेड पर तो कभी सरीन पर तो कभी खुद पर।

  उसे खुद नहीं पता चलता कि वह इतना झल्लाने क्यों लगी है!
    कल ही की बात है रात में बाई सब्जियां फ्रिज म़े रखना भूल गई ,सुबह शुभि की नजर पड़ी तो बुरी तरह बौखला गई।फिर जब गुस्सा शांत हुआ तो खुद में ही ग्लानि हुई।

  उसने तय किया कि वह डॉक्टर के पास जाएगी।

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कौंग्रेच्यूलेशन्स..मिसेज़ रस्तोगी!! आप फैमिली वे में हैं।बधाई हो।डॉक्टर रिचा ने मुस्कुराते हुए कहा।

क्या...!!शुभि ता को यकीन नहीं हो पा रहा था।

"ये आप क्या कह रही हैं!"अवाक सी शुभिता ने कहा।

"जी,मिसेस रस्तोगी, आप मां बनने वाली हैं।"

अब आपको बहुत ही पिकौशन्स लेने होंगे।बहुत ही अच्छा और रिच डायट लेना होगा।
 मैं सब कुछ लिख दे रही हूँ। अभी हेल्दी डायट लो।ज्यादा अप डाउन मत करो।फिर एक महीने के बाद मिलते हैं।

     शुभिता को यकीन नहीं हो रहा था।मां और सासु मां दोनों ही फोन पर हजारों इन्ट्रकशन्स दे दी थी।इन्हें वह फौलो भी कर रही थी।

    पर नारी शरीर में अचानक आए नए परिवर्तन से मन अधिक प्रभावित होता है।इस समय भावी माता क़ो मानसिक सहारे की जरूरत महसूस होती है।

शुभिता भी  इन्हीं मानसिक सहारों की चाहत कर रही थी।वह चाहती थी कि उसका पति कुछ समय उसे दे।उससे बातें करे।उसका ध्यान रखे।
       
           ऐसा नहीं था कि सरीन को इस सरप्राइज से खुशी नहीं हुआ था।वह बहुत ही खुश था.. इतना कि बतला भी नहीं पा रहा था।लेकिन जो कांटे उसने खुद बोए थे,उनही से डरने लगा था।अपने बनाये जंजाल से रास्ता निकालने में रात दिन उलझा रहता।
      
   अब रात तक वह अपना आफिस रूम बंद किए कानून की किताबें खंगालने में लगा रहता।घर आता खाना खाता फिर अकेले रूम में पढ़ता रहता।
  
   शुभिता उसका इंतजार करती रहती।बीते दिनों में खो जाती कैसे दोनों मिला करते थे परिवार से छुप छुप कर।
         
              सरीन का रूढ़िवादी परिवार कभी भी इस शादी के लिये तैयार नहीं था।

वह पटना की पढ़ी लिखी स्मार्ट, धनवान परिवार की लड़की और कहाँ सरीन एक साधारण परिवार का ,छोटे से कसबा शहर का लड़का।
अगर सरीन की प्रैक्टिस अच्छी तरह से नहीं चल रही होती तो शायद उसके परिवार वाले भी रेडी नहीं हो पाते इस शादी के लिए।

     कितना मनाई थी वह अपनी मम्मी को।पापा, भैया और मम्मी ने साफ कहा था
  ""शुभि जितना निभ सको अच्छा है।पर अब सरीन को छोड़ कर इस घर में कदम नहीं रखना।""

अच्छी तरह से गांठ बांध कर वह पीहर की दंघलीज लांघ कर अपनी गृहस्थी बसाने आ गई थी।

    अब तक तो सब ठीक था।अचानक क्या हुआ कि सरीन मुझसे इतना उखड़ा रहने लगा है?

इस बात का जवाब उसके पास नहीं था।वह सरीन के निकट जाती तो वह और दूर भाग जाता।

        एक रात शुभिता सरीन का इंतजार करते करते इतना उब गई कि फ्रिज में से निकाल दारू के कई पेग गटक गई।और फिर सो गई।

   रात बीतते बीतते उसकी तबीयत खराब होनी शुरू हो गई।
  रा त काफी गहरी हो गई थी।पड़ोसियों ने खबर की।सरीन को घर आते आते समय लग गया था।प्रदेश में जो अस्पताल था उसमें शुभि को एडमिट कर लिया गया था।
   
 सरीन शरमिन्दा भी था और दुखी भी।शुभि के लिए चिंतित भी।

    तीन दिनों के बाद भी शुभि की हालत में कोई खास सुधार नहीं आया।उसकी उलटियां बंद ही नहीं हो रही थी।
   डौक्टर रिचा ने कहा" यहां शायद हमारे पास उतना इक्यूपमेंट नहीं हैं।आप इन्हें शहर वाले हौस्पिटल में ले जाइए।"

शुभिता को रातोंरात बड़े जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया गया।

कुछेक दिनों में उसकी सेहत सुधार होने लगा,लेकिन सीनियर गायनो डॉक्टर रूचिरा भार्गव ने सख्त हिदायत देकर अस्पताल से डिस्चार्ज करने से मना कर दिया।

"आपलोग कैसे इर्रेसिंपोन्सिबल हैं।ये पहली बार मां बनने वाली हैं और आपने इन्हें ड्रिंक पिला दिया।
हद होती है लापरवाही की।अब इनको अं प्रौबलम आ गई है।
इनहे अभी फिलहाल यहीं रूकना पड़ेगा।कम से कम एक महीना ।"
सरीन वापस राजपुर आ गया।शुभि अकेली अस्पताल में थी।

सरीन बहुत ही ज्यादा टेंशन में था।माधव नारायण ने हाईकोर्ट में दाखिला दायर कर दिया था।

क्रमशः
सीमा...✍️✨
©



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5 Comments

Zaifi khan

01-Dec-2021 09:38 AM

Good

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Hayati ansari

29-Nov-2021 09:48 AM

Nice

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Niraj Pandey

08-Oct-2021 04:29 PM

बहुत खूब

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